Incomplete journey in Hindi Love Stories by Ki Shan S Ahu books and stories PDF | अधूरा सफ़र

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

अधूरा सफ़र

बात कुछ 5 साल पहले कि है जब गौरव ने कॉलेज खत्म करके नोकरी के लिए बाहर जाने का सोचा,
गौरव ने पास है के एक ई मित्र से नोकरी के लिए फॉर्म भरावाया

कुछ ही दिनों बाद गौरव को गांव से दूर शहर में नोकरी मिल गई।
गौरव बहुत खुश हुआ और जाने कि तैयारी करने लगा,

गौरव ने अगले दिन शहर जाने के लिए बस पकड़ी और निकल पड़ा एक लंबे सफ़र के लिए,
2-4 स्टेशन निकलने के बाद गौरव के बगल में एक लड़की ने दस्तक दी और बोली आप थोड़ा खिसककर बैठिए,
गौरव भी थोड़ा खिसक लिया कुछ देर बाद गौरव ने उन मोहतरमा से बात करनी चाही लेकिन गौरव के कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने पूछ लिया,
आप कहा जा रहे है।।

शायद वो भी गौरव से बात करना चाह रही थी (शायद)
खैर गौरव ने जवाब दिया जी में तो नोकरी के लिए शहर जा रहा हूं और आप इस पर मोहतरमा का कोई जवाब नहीं आया तो गौरव ने उनसे उनका नाम ही पूछ लिया और अपना भी बता दिया,
जी मेरा नाम गौरव है और आपका
मेरा नाम स्वाति है और भी शहर ही जा रही हूं अपनी पड़ाई के लिए।
ओह
अच्छा है
स्वाति:- वैसे कोनसी नोकरी के लिए जा रहे है आप,
गौरव:- जी एक कंपनी के लिए अकाउंटेंट का काम मिला है।
स्वाति:- तो आप अकाउंटेंट है।
गौरव:- जी हा, ओर आप
स्वाति:- में एक विद्यार्थी हूं।
गौरव:- अच्छा,,
स्वाति:- खैर जाने दीजिए ये बताए गांव से निकलकर शहर में मन लग जाएगा आपका।।
गौरव:- पता नहीं अभी तो जा रहे है अभी तो बहुत लंबा सफ़र बाकी है।
स्वाति:- हा अभी तो बहुत लंबा सफ़र बाकी है,
सफ़र के दौरान दोनों ने खूब बातें की गौरव ने घर से लाया खाना का डिब्बा जब खोला ती दोनों ने मिलकर खाना भी खाया ओर रास्ते मै कुल्फी वाले से कुल्फी भी ली जिसके पैसे देने को लेकर दोनों जगड़ने लगे ओर आखिरकार आधे आधे पैसे देने को लेकर दोनों राज़ी हुए।


गौरव उसकी मीठी मीठी बातें सुनता जा रहा था ओर उसके ख्यालों में खोता जा रहा था,
अचानक से गौरव की आंख लग गई और उसे नींद आती देख स्वाति भी कुछ चुप सा हो गई,
रात बीती ओर सुबह जब 4 बजे बस शहर के किसी होटल पर रुकी तो गौरव की नींद खुली उसने देखा स्वाति सीट पर नहीं है।
बस से उतरकर स्वाति को खोजता हुआ गौरव बस चालू होने तक इधर उधर घूमता रहा पर स्वाति नहीं मिली,
मिलती भी कैसे बस कंडक्टर से पूछने पर पता चला कि वो तो पिछले स्टेशन पर ही उतर गई,
खैर होटल के बाद बस शहर में रुकी ओर गौरव का सफ़र खत्म हुआ लेकिन,
गौरव का सफ़र पूरा होकर भी अभी अधूरा रह गया।।


आपको क्या लगता है क्या इस अनजान शहर मै गौरव को स्वाति वापस मिलेगी या गौरव का ये सफ़र यूं ही अधूरा सफ़र बन जाएगा,,

अगले भाग में पड़े क्या गौरव करता है अपने अधूरे सफ़र को पूरा करने कि कोशिश या वो भी इस शहर कि चकाचौंध में कहीं खो जाता है
Ki Shan S Ahu..

अगर सबकुछ मिल जाएगा ज़िंदगी मैं तो तमन्ना किसकी करोगे,
कुछ अधूरी ख्वाहिशें तो ज़िंदगी जीने का मज़ा देती है।।